"रांझण" एक भावनात्मक और दिल को छू लेने वाला गीत है, जो प्यार, विश्वासघात, और जुदाई के दर्द को व्यक्त करता है। यह गीत पंजाबी और हिंदी भाषा के मिश्रण में लिखा गया है, जो प्रेम कहानी के प्रसिद्ध पात्रों हीर और रांझा के इर्द-गिर्द घूमता है। गीत में प्रेम की गहराई, विश्वास टूटने का दर्द, और प्रिय के चले जाने की पीड़ा को बड़े ही मार्मिक ढंग से दर्शाया गया है। नीचे गीत के प्रत्येक हिस्से का विस्तृत विवरण दिया गया ह:-
धड़कन तक तेनु रस्ता दिया सजना
तू ता सारे दिल ते ही कबजा करके बैठ्या
गीत की नायिका (हीर) अपने प्रिय (रांझा) को अपनी धड़कन तक का रास्ता देती है, अर्थात् उसने अपना पूरा दिल और आत्मा उसको सौंप दी। लेकिन इसके बावजूद, प्रिय ने उसके दिल पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है, जैसे वह उसका मालिक बन बैठा हो। यहां प्रेम के साथ-साथ प्रिय के प्रति पूर्ण समर्पण और उसकी उपस्थिति की ताकत को अभिव्यक्त किया गया है।
अब ना हीर कदे दिल दा यकीन कर पायेनी
तू ता इश्क ही ठग बैठा सजना
इन शब्दों में दिल का दर्द उभरकर सामने आता है। हीर कहना है कि अब वह कभी किसी के दिल पर विश्वास नहीं कर पाएगी, क्योंकि रांझा ने उसके प्यार का ठगा और यहां "इश्क ही ठग बैठा" से मिलते-जुलते अर्थ हैं कि प्रिय ने प्रेम के नाम पर ठगा है, जिससे हीर के विश्वास टूट गए हैं। यह प्रेम में मिले छल और टूटे विश्वास की गहरी भावना को व्यक्त करता है।
जा रांझण रांझण रांझण
तू भी क्या याद रखेगा
जा हीर ने तेनु छोड़ दिया
मुखड़े में हीर अपने प्रिय रांझा को विदा करने की बात कहती है। बार-बार दोहराया जाना 'जा रांझण' के इस बोल को दिखाता है कि वह उसे जाने के लिए कह रही है, लेकिन इसमें एक गहरा दर्द और व्यंग्य छिपा हुआ है। वह कहती है कि रांझा शायद उसकी याद भी नहीं रखेगा, क्योंकि अब हीर ने उसे छोड़ दिया है। यहां जुदाई का दर्द और प्रिय के प्रति नाराजगी स्पष्ट झलकती है। यह पंक्तियां गीत को एक भावनात्मक चरम प्रदान करती हैं, जो श्रोता के दिल को गहराई से छूती हैं।
ऐसे ना जाओ पिया
ऐसे ना जाओ पिया
जुड़ी है राहे सारी तुझसे मेरी
यहाँ हीर अपने प्रिय से विनती करती है कि वह उसे इस तरह जाकर नहीं छोड़े। वह आश्वस्त करती है कि उसकी सभी राहें, उसका पूरा जीवन, रांझा से जुड़ा हुआ है। यह पंक्तियां प्रेम की गहराई और प्रिय के बिना अधूरेपन की भावना को दिखाती हैं। यहां हीर की बेबसी और प्रेम में डूबे दिल की पुकार साफ सुनाई देती है। यह हिस्सा प्रेमी के जाने के डर और उसे रोकने का प्रयास को प्रकट करता है।
लाख समझाऊं मैं ता
दिल समझा नी पता
मांगे तेरी खेरिया
सोना था तेरा वे झूठा
रंग दो दिनो में छूटा
कैसे भुलाऊं बैरिया
इस लाइन में हीर अपने टूटे हुए दिल की व्यथा को वह कहती है कि लाख कोशिशों के बावजूद उसका दिल रांझा को समझा नहीं पाता। वह उसकी सलामती की दुआ मांगती है, लेकिन साथ ही यह भी कहती है कि रांझा का प्यार "सोना" (असली) नहीं, बल्कि "झूठा" था, जो दो दिन में ही फीका पड़ गया। "कैसे भुलाऊं बैरिया" में वह अपने दर्द को भूलने की असमर्थता को व्यक्त करती है। यहां प्रेम के झूठे वादों और टूटे सपनों का दुख स्पष्ट होता है।
हर कोई यार नहीं हुडडा वे बुलया
हर कोई यार नहीं हुडडा
कभी अकेले बैठ के तू सोच तो सही
हर कोई बांह पकड़ के ताल से ताल नहीं मिलाता
कभी अकेले उठ के नाच तो सही
इस भाग के गीत में एक दार्शनिक और आत्मचिंतन का भाव आता है। " संत बुल्लेशाह के माध्यम से गीत यह संदेश देता है कि हर किसी में सच्चा प्रिय या साथी नहीं हो सकता। हीर, रांझा को कहती है कि वह अकेले बैठकर अपने किए पर विचार करे। साथ ही, यह भी कहती है कि हर कोई सच्चे दिल से साथ नहीं देता, और उसे अपने दम पर जीने की हिम्मत दिखानी चाहिए। "कभी अकेले उठ के नाच तो सही" में आत्मनिर्भरता और अपने दुख को भूलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी गई है।
पंक्तियों का दोहराव ("जा रांझण रांझण रांझण") और "ऐसे ना जाओ पिया" का दोहराव गीत को और भी भावनात्मक बनाता है। यह दोहराव हीर के मन में चल रहे द्वंद्व को दिखाता है , वह एक तरफ रांझा को जाने के लिए कह रही है, लेकिन दूसरी तरफ उसे रोकने की कोशिश भी कर रही है। यह प्रेम और जुदाई के बीच की कशमकश को और गहरा करता है।
निष्कर्ष
"रांझण" गीत प्रेम, धोखाधड़ी, और जुदाई की भावनाओं का सुन्दर मेल है। यह गीत हीर-रांझा की प्रेम कहानी के आधार पर प्रेम की गहराई, टूटे विश्वास, और प्रिय के जाने का दर्द को प्रस्तुत करता है। गीत की भाषा सरल लेकिन गहरी है, जो पंजाबी और हिंदी के मिश्रण से और भी प्रभावकारी हो जाती है। यह गीत न केवल प्रेम की सुंदरता को प्रस्तुत करता है, अपितु प्रेम में मिलते वाले दुख और आत्मचिंतन के महत्व को भी उजागर करता है।
3 टिप्पणियाँ
thanks
जवाब देंहटाएं🥰
जवाब देंहटाएंBest song of the world 🌍
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