ज़रूरी था टू Zaroori Tha 2 Song Lyrics - Rahat Fateh Ali Khan


जरूरी था 2 गीत एक गहरी भावनात्मक प्रेम कहानी को बयान करता है, जिसमें प्रेम, वियोग, और बदलाव की पीड़ा को व्यक्त किया गया है। गीत के बोल प्रेमी के तड़पने, हिज़्र की आग में जलने और समय के साथ बदलते रिश्ते की भावनाओं को दर्शाते हैं। इसमें प्रेम की जटिलताओं, नजरों के टकराव, और ज़ख्मों के भरने की ज़रूरत को उजागर किया गया है। गीत यह भी बताता है कि प्रेम में सुख और दुख दोनों ज़रूरी हैं, और कैसे एक खोया हुआ प्यार दिल को हमेशा याद रहता है। यह गीत प्रेम की गहराई, विश्वासघात, और बदलते मौसम की तरह बदलते रिश्तों की मार्मिक व्याख्या करता है।

Song: Zaroori Tha 2
Singer : Rahat Fateh Ali Khan 
Lyrics : Mujtaba Ali
Music label: Gem Tunes


Zaroori Tha 2 Lyrics in Hindi 

क्या ये लाज़िम था हर एक रोज़ तड़पते जाना
हिजर की आग में जल जल के पिंगलते जाना
मैंने तो अंजान था तुम्हें ने ही सिखाया है मुझे
वक्त के साथ है कैसे बदलते जाना

तेरी बेबाक नजरों से उलझना भी जरूरी था 
ज़रूरी थी मोहबत तो समझना भी ज़रूरी था
क्या होता एक मंजिल के मुसाफिर साथ ही रहते
था रहना ज़ख्म तेरा जो वो भरना भी ज़रूरी था
तेरी बेबाक नजरों से उलझना भी जरूरी था 

अभी तो साथ चलने में सुकून तुम से मिला ही था
मन्ने की जो रस्म थी है बाकी रुठना भी था
सिकायत तुम को थी मुझसे तो मुझ से ही गिला करते
जो आंसू बहना चाहते हो न उनको किया करते
बताओ क्या ये लाज़िम था तड़पते चोद कर जाना
सिल में वफ़ाओ के लिए तड़पना भी ज़रूरी था
तेरी बेबाक नजरों से उलझना भी जरूरी था

झन मिलते द हम दोनों वह जेकर भूत रोया
जिसे खोने से डरता था वो आख़िर में है खोया
तेरी तसवीर देखु तो नहीं आता यकीन मुझ को
मगर दो रुख है इस तसवीर के अब है यकीन मुझ को
कहा तू मुझमें मौसम सा यहां आया खा बदला
मुझे तुम ने ये सिखाया बदला भी ज़रूरी था
ज़रूरी थी मोहबत तो समझना भी ज़रूरी था
अभी तो साथ चलने में सुकून तुम से मिला ही था
मन्ने की जो रस्म थी है बाकी रुठना भी था


Zaroori Tha 2 Lyrics in English 

Kya Ye Lajim Tha Har Ek Roj Tadpte Jana
Hijar Ki Aag Mein Jal Jal Ke Pinghalte Jana
Mein to Anjaan Tha Tume Ne Hi Sikhaya Hai Mujhe
Waqat Ke Sath Hai Kaise Badalte Jana


Teri Bebaak Nazro Se Uljhna Bhi Zaroori Tha 
Zaroori Thi Mohbat to Samjhna Bhi Zaroori Tha
Kya Hota Ek Manjil Ke Musafir Sath Hi Rhte
Tha Rahana Zakham Tera Jo Wo Bharna Bhi Zaroori Tha
Teri Bebaak Nazro Se Uljhna Bhi Zaroori Tha 

Abhi to Sath Chlne Me Sukun Tum Se Mila Hi Tha
Mnane Ki Jo Rasme Thi Hai Baki Ruthna Bhi Tha
Sikayat Tum Ko Thi Mujh Se to Mujh Se Hi Gila Karte
Jo Aansu Bahna Chahte Ho Nhi Unko Kiya Karte
Btao Kya Ye Lazim Tha Tadpte Chod Kar Jana
Sile Me in Wafao Ke Tadpna Bhi Zaroori Tha
Teri Bebaak Nazro Se Uljhna Bhi Zaroori Tha

Jhan Milte the Hum Dono Wha Jakar Bhut Roya
Jise Khone Se Darta Tha Wo Aakhir Mne Hai Khoya
Teri Tasveer Dekhu To Nhi Aata Yakin Mujh Ko
Magar Do Rukh Hai is Tasveer Ke Ab Hai Yakin Mujh Ko
Kaha Tu Mujh Me Mosam Sa Yahan Aaya Kha Badla
Mujhe Tum Ne Ye Sikhlaya Badlna Bhi Zaroori Tha
Zaroori Thi Mohbat to Samjhna Bhi Zaroori Tha
Abhi to Sath Chlne Me Sukun Tum Se Mila Hi Tha
Mnane Ki Jo Rasme Thi Hai Baki Ruthna Bhi Tha

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ